5. आखिर क्यों इतना मजबूर इस देश में अन्नदाता है (पेज -45)
अाठ अक्टूबर मुंशी प्रेमचंद्र की पुण्यतिथि को समर्पित मेरी कविता 💐💐💐💐
आख़िर क्यों इतना मजबूर इस देश में अन्नदाता है...
✍🏻 बिपिन कुमार चौधरी
हम सभी का पालनहार यह धरती - माता है,
फ़िर अन्नदाता से ही क्यों नाराज़ भाग्य विधाता है,
कभी बाढ़ से पीड़ित कभी सुखाड़ आता है,
कठोर मेहनत कर भी नहीं भरपेट भोजन पाता है...
सपने जिनके मजबूरियों के भेंट चढ़ जाता है,
सरकार उदासीन रब भी कहर ढाता है,
बीमार हालत में दवाई बिन स्वर्ग सिधार जाता है,
संघर्ष पथ में नित्य बिना कसूर यह सजा पाता है...
बच्चे जिनके अन्न को मोहताज हो जाता है,
जिस घर की देवियों की दशा देवताओं को रुलाता है,
उन्हीं के कर्मों से हर कोई थाली में भोजन पाता है,
आख़िर क्यों इतना मजबूर इस देश में अन्नदाता है...
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